।मैं काशी विश्वनाथ हूँ।।
गंगा घाट किनारे काशी में उन गूँजती हुए शहनाई में सुबह-ए-बनारस का राग हूँ।
विश्वनाथ की नगरी में इस जीवन की डोरी में मणिकर्णिका की मसान हूँ।
प्राचीन ग्रंथ के पन्नो में विश्व जगत गुरू की पहचान हूँ।
मैं काशी खुद में नया ब्रह्मांड हूँ ।
जीवन मुझसे मरण भी मुझसे बसा मुझमे इश्क़ है मैं पवित्र नगरी काशी हूँ मैं काल भैरवः वासी हूँ।
संकट मोचन मेरे रखवाले है मैं ज्ञान का भंडार हूँ मानस की नगरी में मैं जगमगता दशाश्वमेध घाट हूँ।
सत्य अटल की पहचान हूँ मैं हर रग-रग में बसा हरिश्चन्द्र घाट हूँ।
मैं अविरल धारा गंगा हूँ जल मेरी पहचान है वरुणा अस्सी से बना हुआ मैं वाराणसी का परिणाम हूँ।
उपदेशों से जन्मा हुआ मैं सारनाथ से विख्यात हूँ मैं मदन मोहन की नगरी में विश्वविद्यालय स्वर्णिम इतिहास हूँ।
दही,जलेबी,कचौड़ी और चाय राजनीति की मिसाल हूं मैं राम नगर की लस्सी की असली मिठास हूँ।
प्रज्वलित दीप से सजा हुआ मैं सुनहरा अस्सी घाट हूँ।
मैं विश्वनाथ की नगरी काशी खुद में नया ब्रह्मांड हूँ।
गंगा घाट किनारे काशी में उन गूँजती हुए शहनाई में सुबह-ए-बनारस का राग हूँ।
विश्वनाथ की नगरी में इस जीवन की डोरी में मणिकर्णिका की मसान हूँ।
प्राचीन ग्रंथ के पन्नो में विश्व जगत गुरू की पहचान हूँ।
मैं काशी खुद में नया ब्रह्मांड हूँ ।
जीवन मुझसे मरण भी मुझसे बसा मुझमे इश्क़ है मैं पवित्र नगरी काशी हूँ मैं काल भैरवः वासी हूँ।
संकट मोचन मेरे रखवाले है मैं ज्ञान का भंडार हूँ मानस की नगरी में मैं जगमगता दशाश्वमेध घाट हूँ।
सत्य अटल की पहचान हूँ मैं हर रग-रग में बसा हरिश्चन्द्र घाट हूँ।
मैं अविरल धारा गंगा हूँ जल मेरी पहचान है वरुणा अस्सी से बना हुआ मैं वाराणसी का परिणाम हूँ।
उपदेशों से जन्मा हुआ मैं सारनाथ से विख्यात हूँ मैं मदन मोहन की नगरी में विश्वविद्यालय स्वर्णिम इतिहास हूँ।
दही,जलेबी,कचौड़ी और चाय राजनीति की मिसाल हूं मैं राम नगर की लस्सी की असली मिठास हूँ।
प्रज्वलित दीप से सजा हुआ मैं सुनहरा अस्सी घाट हूँ।
मैं विश्वनाथ की नगरी काशी खुद में नया ब्रह्मांड हूँ।
Last Edit - Nov. 1, 2020, 1:24 p.m.